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Showing posts from November, 2017

हमारी दोस्ती

यूं हमने उनसे मुलाक़ात की महक उठी खुशबू हमारे जज़्बात की, गले से लगाया  इस कदर उसने हमें, धड़कने कह गई हर एक बात दिल की....... मित्र पंकज भाई को समर्पित

ज़हेज

मां बाप का घर बिका और बसा घर बेटी का..... कितना ओछा रश्म है ये इंसानों के ज़िन्दगी का?

दीप

हमने तो एक दीप को भी माना चांद सा... कभी अंधेरी रातों को दीपों के सहारे रहा हूं मैं।   जब चली जाती थी चांद भी तन्हा छोड़ हमें इसी दीपक की रौशनी तले रहा हूं में....। क्यों ना हो शिद्दत से इससे मोहब्बत मुझको। रौशनी मेरी ज़िन्दगी को दिया है इसने.....। कल तलक ख्वाहिश थी कि एक सितारा भी हो मेरा। आज है आरज़ू कि , दीपक ही बने सहारा है मेरा....।